जीते जी मृत्यु का द्वार है : ईर्ष्या
ईर्ष्यालु व्यक्ति हमेशा अशांत और व्याकुल रहता है। उसे कोई अपने साथ शामिल नहीं करता और न ही भरोसा करता है। ईर्ष्या न केवल दूसरों को नुकसान पहुंचाती है बल्कि स्वयं को भी। यह आपके ध्यान को भटकाकर आपकी ऊर्जा व्यर्थ करती है और सफलता और शांति से दूर ले जाती है। इसलिए, ईर्ष्यालु लोगों से दूर रहें और सद्भावपूर्ण जीवन जिएं।
(प्रमोद कुमार)
आत्मिक ऊर्जा का संचय
आत्मिक ऊर्जा का संचय मानव जीवन का सार है। आत्मा की ऊर्जा से ही मन, विचार, व्यवहार, कर्म और निर्वाण निर्धारित होते हैं। आत्मा को पवित्र भावना और सदाचरण के माध्यम से पोषित करना आवश्यक है। सही मार्ग पर चलने, पवित्र उद्देश्य रखने और आत्मा के संकेतों को समझने से ही आत्मिक ऊर्जा का संचय संभव है, जिससे जीवन में सफलता और शांति प्राप्त होती है।
अहंकार कैसे आपको पीछे धकेलता है ?
अहंकार, व्यक्ति की हजार अच्छाइयों को ढककर, उसे सफलता से दूर रखता है। यह गुण परिवार से विरासत में मिल सकता है या सामाजिक परिवेश से उत्पन्न हो सकता है। जब लोग आपकी बातों को महत्व नहीं देते, तब समझें कि अहंकार ने आपको ग्रसित कर लिया है। इससे बचने के लिए अध्यात्म, मौन, करुणा, प्रेम, और सत्य का पालन करें। स्वाभिमान को सकारात्मक संकल्पों में बदलें।